'ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय ...#9pm9minute
अंधकार से प्रकाश की ओर
#9pm9minute
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https://www.youtube.com/watch?v=bXRmjpoLQjE
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अंधकार व्यापक
है, रोशनी की अपेक्षा| क्योंकि अंधेरा अधिक काल तक रहता है, अधिक समय तक रहता है और
रोशनी अधिक देर तक नहीं रहती| दिन के पीछे भी अंधेरा है रात का| दिन के आगे भी अंधेरा
है रात का| माँ के गर्भ में भी अंधेरा है, जहाँ से हमारे शरीर की शुरुआत हुई और जब
शरीर से प्राणपखेरू निकलते हैं तो पुन: जीव अंधकार में डूबता है| रोशनी बहुत थोड़े
समय को होती है और अंधकार बहुत लम्बे समय का होता है|
अगर आप नियमित प्राणायाम, आसनों का अभ्यास करें और जैसे-जैसे आपका प्राणायाम, आसन का अभ्यास गहरा होने लग जाए, वैसे-वैसे आपके शरीर को प्रकृति से ऊर्जा लेने की और ऊर्जा को स्टोर करने की क्षमता बढ़ने लग जाती है| जिसके परिणाम स्वरूप आपकी नींद का औसत कम होने लग जाता है|
अंधकार पहले भी , अंधकार बाद में भी| अंधकार दिन के पहले भी, अंधकार दिन के अंत में भी| अंधकार जन्म से पहले भी, अंधकार मृत्यु की घड़ी से फिर शुरू हो जाता है| अजब बात यह है कि आप अंधकार से डरते हैं और रोशनी में आपको उत्तेजना और प्रसन्नता होती है| होना तो इसका उल्टा चाहिए क्योंकि अंधकार आपका साथी है, रोशनी एक मेहमान है जो कुछ समय के लिए आती है और फिर कुछ समय बाद चली जाती है| हमारी सारी साधना इसीलिए है कि हम इस रोशनी को अपने जीवन में चिर स्थायी कर सकें|
प्रकृति ने दिन व रात का प्रावधान दिया| किंतु मानव मस्तिष्क ने पहले अग्नि को खोजा, फिर नन्हें मिट्टी के दीये बना कर गहरी, काली अंधियारी रातों को भी उजाला कर लिया|
अंधकार से हमें प्रकाश की ओर अग्रसर होना है| परमात्मा प्रकाश स्वरूप है
तुम सबके लिए मैं हृदय से मंगल कामना करतa हूँ | तुम्हारा अंधकार दूर हो, तुम्हारा तमस दूर हो, तुम्हारा साधना का मार्ग प्रशस्त हो, तुम्हारे संकल्प बलवती हों, अपने जीवन को अंधकार से क्यों भरना! जीवन को उज्जवल बनाओ| बहुत भटक लिए अंधकार में, अब तो आँखें खोलो|
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